वोल्गा* के देश जा रहे हो
मस्कवा* से भी मिलकर आना.
आहिस्ता रखना पाँव
बर्फ ओढ़ी होगी उसने
देखना कहीं ठोकर से न रुलाना।
पर जरा बचकर जाना
वहीँ पास की एक ईमारत में
लेनिन सोया है
उसे नींद से मत जगाना।
मत्र्योश्काओं* का शहर है वह
एक बाबुश्का* को जरूर मनाना
बेचती होगी किसी कोने में "परागा"*
कुछ अधिक रूबल देकर ले आना.
गोर्की तो कुछ दूर है
चाहो तो मिल आना
चाय मिलेगी "स कन्फैतमी "*
कुछ कप साथ में पी आना.
और सुनो मुसाफिर!
लौटोगे न, तो छोड़ आना
अपने देश की गर्माहट।
ठंडा देश है वह
तुम्हें सराहेगा।
हाँ लौटते हुए वहां से लेते आना
रूसियों की जीवटता.
बोर्श* में पड़े एक चम्मच स्मिताने* सी
लड़कियों की रंगत
उनके सुनहरे बालों का सोना,
और मासूम बालकों के गालों के टमाटर।
सुनो न, बाँध लाना अपनी पोटली में
उनकी कहानियों के कुछ पल,
और बस, इतना काफी होगा न,
वोल्गा और गंगा के प्रेम स्पंदन के लिए.
***
वोल्गा*, मस्कवा* = नदियाँ
मात्रूशकाओं* = रूसी गुड़ियाएं
बाबुश्का* = बूढी अम्मा
परागा"* = एक तरह का केक
स कनफैती"* = मीठी टॉफ़ी के साथ
बोर्श* = चुकंदर के साथ बना एक तरह का रूसी सूप
स्मिताने*= बांध हुआ दही ( सॉर क्रीम)
जहाँ भी जाओ लौटते में पोटली में अपनी कुछ फूल उनकी संस्कृति के भी ले आना चाहिए।
ReplyDeleteसच्चा मुसाफिर वही होता है।
:)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-01-2017) को "लोग लावारिस हो रहे हैं" (चर्चा अंक-2586) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "शेर ए पंजाब की १५२ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत खूब ... ये भी एक मिलन होगा ...
ReplyDeleteउस देश की प्रकृति और संस्कृति के जो रूप मन पर छाप छोड़ गये हैं उन्हें पाने कामना जागे तो समझ लीजिये मानव सुलभ संवेदना ने वहाँ से आपका रिश्ता जोड़ दिया है . महाद्वीपों की अंतर्यात्रा का यह क्रम चलता रहे !
ReplyDeletebahut pyar se jiya hai roos apne ; sneha ke bharat se kisi ko bulaya waha se kuch de diya yaha se kuch le liya
ReplyDeletebahut khoob keval apna sa