आज सुबह राशन खरीदने टेस्को (सुपर स्टोर) गई तो वहां का माहौल कुछ बदला बदला लग रहा था. घुसते ही एक स्टाफ की युवती दिखी जो भारतीय वेश भूषा में सजी हुई थी. मुझे लगा हो सकता है इसका जन्मदिन होगा। सामान्यत: यहाँ एशियाई तबकों में अपने जन्मदिन पर परंपरागत लिबास में काम पर जाने का रिवाज सा है. परन्तु थोड़ा और आगे बढ़ने पर स्टाफ की एक ब्रिटिश महिला भी सलवार कमीज में घूमती हुई मिली। अब मामला कुछ असामान्य लग रहा था. परन्तु ज्यादा हर मामले में अपनी नाक न घुसाते हुए मैंने सामान लिया और काउंटर पर भुगतान करने आ गई. वहां भी एक मोहतरमा पूरी भारतीय साज सज्जा के साथ विराजमान थीं. अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने पूछ लिया कि आज कुछ खास है क्या ? तब उसने बताया की यहाँ हम दिवाली मना रहे हैं और इसीलिए कुछ खास सजावट और गतिविधियों के साथ ही सभी स्टाफ ने भारतीय वेशभूषा में आने का निर्णय लिया है.
सामान्यत: लंदन में सभी समुदायों के त्यौहार काफी खुलेमन से मिलजुल कर मनाये जाते हैं और बाजार को देखते हुए दुकानों में दिवाली, ईद आदि पर एक कोना उससे सम्बंधित सामान से सजा दिया जाता है पर आज तो छटा ही कुछ और है फिर आज तो दिवाली है भी नहीं। खैर सामान लेकर बाहर निकलने को हुई तो किनारे पर एक मेज सजी हुई दिखी जहाँ दीये, टॉफियां और मेहंदी के कुछ कोन रखे हुए थे अब मुझे फिर जिज्ञासा हुई तो वहां खड़ी एक स्टाफ से फिर पूछ लिया। उसका नाम फाल्गुनी था कुछ ७ साल पहले वह यहाँ आई थी.शायद पढ़ने, और अब पार्ट टाइम टेस्को में काम करती है. फाल्गुनी ने विस्तार से सब बताया और मेरी हथेली पर मेहंदी भी लगाने की इच्छा जताई जो मैंने उसकी एक तस्वीर खींचने के एवज में स्वीकार कर ली.
वह मेहंदी लगाने लगी और मैं उससे बतियाने लगी। अब हमें वहां देखकर एक और स्टाफ का आदमी आ गया. वह ब्रिटिश था और मेहंदी के डिजाइन में अर्थ ढूंढने की कोशिश कर रहा था. उसकी दिलचस्पी देखकर हमने फायदा उठाया और उसे अपना कैमरा फ़ोन थमा दिया। खुद को उत्सव का हिस्सा समझते हुए उसने पूरे जोश ओ खरोश से मेरी दी हुई वह जिम्मेदारी निभाई।
तभी कुर्ते पजामे और दुपट्टे में सुसज्जित एक और स्टाफ का युवक जो अब तक वहां एक लैपटॉप पर हिंदी फ़िल्मी गीत लगा रहा था, आया और फाल्गुनी से कोन लेकर खुद मेहंदी लगाने लगा. मैंने उससे पूछा क्या वह भारतीय है. उसने सिर्फ इतना कहा - नहीं , पर मुझे दिवाली मनानी है. बाद में फाल्गुनी ने बताया वह बांग्लादेशी है. उसके हाथ बेशक कांप रहे थे परन्तु डिजाइन अच्छी पूरी की उसने। अब तक " ढोली तारो ढोल बाजे " गीत को स्क्रीन पर देख देख कर वह अंग्रेज युवक भी बैठे बैठे ठुमकने लगा था और एक बड़े स्टोर के छोटे से कोने में एक अच्छा खासा उत्सवी वातावरण बन गया था.
मेरे कहने पर उसी युवक ने कुछ विदेशी महिला स्टाफ को जो भारतीय वेशभूषा में काम पर आईं थीं, बुलाया और मुझे देख वे भी मेहंदी लगवाने पंक्ति में लग गईं.
मुझे आश्चर्य हुआ. उनका कोई बॉस या सुपरवाइजर यह कहने नहीं आया कि अपने काम पर लगो, यह तीज त्यौहार घर जाकर मनाना। बल्कि वहां से गुजरता हुआ हर इंसान एक प्यारी सी मुस्कान फेंक कर जा रहा था.
मैंने उन विदेशी लड़कियों से पूछा - क्या जानती हो दिवाली के बारे में ? जबाब मिला -
"ज्यादा तो नहीं पर थोड़ा बहुत"।
और यह परिधान ?
"अपनी एक मित्र से उधार लिए हैं दिवाली मनाने को."
मुझे मन किया अपने सारे काम -धाम छोड़ कर आज यहीं इसी स्टोर में डेरा जमा लूँ और इन लोगों को यह उत्सव मनाते देखूं। फिर पता चला इनका यह उत्सव दिवाली तक यानि ११ नवम्बर तक चलने वाला है. अब वहां पर जमे रहना असंभव था तो उन्हें शुभकामनाएं और धन्यवाद कह कर मैं चली आई.
नफरत के ठेकेदारो , तुम बोते रहो नफरतों के बीज, बांटटे रहो इंसानों को धर्म के नाम पर. परन्तु जबतक दिलों में प्रेम है और यह प्रेम फैलाने वाले उत्सव। तब तक तुम अपने कुकर्मों में सफल तो न हो पाओगे।
आनंद आ गया। शुभ दीपावली
ReplyDeleteये जानकार अच्छा लगा की एक देश दुसरे देश की संस्कृति और त्यौहार को कितना सम्मान करते हैं
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-11-2015) को "अच्छे दिन दिखला दो बाबू" (चर्चा अंक 2154) (चर्चा अंक 2153) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह ! कई दिनों बाद उस घुटन भरे माहौल से बाहर निकाला इस प्यारी सी पोस्ट ने ...
ReplyDeleteआनंददायक दिवाली शुभ हो सबको .
बहुत अच्छा अनुभव साझा किया आपने |
ReplyDeleteदीपावली मुबारक -----------------------------------मुनाफे के बहूत कुछ करना पड़ता है सर जी
ReplyDeleteअच्छा है न...नफरत और धर्म के ठेकेदारों की पहुँच कम से कम कुछ जगहों तक तो नहीं ही है न...
ReplyDeleteअच्छी झांकी दिखाई आपने विश्वबन्धुत्व की।धन्यवाद।
ReplyDeleteसच शिखा ..इतना जीवंत वर्णन ..मज़ा आ गया ..और तसवीरें , वह तो सोने पे सुहागा , लगा जैसे हम वहीँ मौजूद हैं और इस पर्व का लुत्फ़ सबके साथ मिलकर उठा रहे हैं ...पर article बहुत छोटा था, दिलचस्पी चरम पर थी और "The End" हो गया ...धत्त ..!!!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज का पंचतंत्र - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteचित्त प्रसन्न कर दिया आपने यह सब बता कर !
ReplyDeleteBahut payari post...wakai man mohne wala ehsas hai..phir jayiyega to hamri taraf se Happy diwali kahiyega.
ReplyDeleteपरदेश में देश के त्यौहार का यह सेलिब्रेशन सच में अदभुत है...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ........आपकी दिवाली शुभ हो |
ReplyDeleteसुन्दर रचना ........आपकी दिवाली शुभ हो |
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर पोस्ट। दीपावली की अग्रिम बधाई स्वीकार करें।
ReplyDeletenice sharing...
ReplyDeleteसुना है अमेरिका में दीवाली की छुट्टी घोषित हो गई है। यह सब मोदी करिश्मा है। लेकिन अग्सस अपने ही घर में दुत्कारे जा रहे हैं।
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है।
ReplyDeleteगज़ब का चित्र वृत्तांत .... मेरी दिवाली तो आज मणि इस पोस्ट को पढ़ कर और चित्रों का आनंद ले कर :) :)
ReplyDeleteबहुत अच्छा अनुभव साझा किया आपने
ReplyDeleteबढ़िया।
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