भावनाऐं हिंदी कविता की
किताब हो गईं हैं
जो ढेरों उपजती हैं
पर पढीं नहीं जातीं.
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भावनाऐं प्रेशर कुकर भी हैं
जब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर
चाहती है सुने कोई
कि पक चुकी हैं.
बंद की जाये आंच अब.
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भावनाओं का ज्वर
जब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
ये शोर मचाती भावनाए अच्छी लगी
ReplyDeleteस्पर्श माथे पर ठंडी पट्टी सा दो चम्मच मधुर बोलऔर एक टैबलेट प्यार की
ReplyDelete........रचना मनभावन है....शिखा जी
bhavnaye bhut sundar lagi hardik shubh kamnaye
ReplyDeleteआज तो गज़ब कर दिया ……:)
ReplyDeleteश्रीकान्त मिश्र 'कान्त'जी की ईमेल से प्राप्त टिप्पणी
ReplyDeleteभावनाऐं प्रेशर कुकर भी हैं
जब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर
चाहती है सुने कोई
कि पक चुकी हैं.
बंद की जाये आंच अब.
.....
छोटी छोटी वस्तुओं को बिम्ब बना कर बड़ी बात कह देना ही नाम है शिखा वार्ष्णेय का कभी वो ’गट्ठे भावनाओं के’ हों अथवा प्रेशर कुकर की सीटी .. धुंआ से लेकर गुनगुने पानी तक .. को बिम्ब बनाकर आप सफल अभिव्यक्ति कर सकती हैं यह एक उदाहरन और है .. आपके काव्य संकलन की प्रतीक्षा रहेगी। - बधाई इस रचना के लिये
प्रेस्क्रिप्शन अच्छा लगा ...नोट कर लिया है, काम आयेगा |
ReplyDeleteShikha ji kya baat hain
ReplyDeletebhavnao ko lekar kya khub likha hain.
shikha ji
ReplyDeletekabhi-kabhar hamare blog ka bhi
tour laga liya kijiye...hamari bhavnao ko jara samjhiye..:)
apne blog ka link de rahi hun pahuchne main aasani hogi.
http://kisseaurkahaniyonkiduniya.blogspot.com
http://sheetalslittleworld.blogspot.com.
भावनाएं ....हिन्दी कविता की किताब ....लेकिन कुछ अपवाद हैं ... जो संवेदनशील होते हैं पढ़ ही लेते हैं :):)
ReplyDeleteऔर जब आंच बंद नहीं की जाती तो प्रेशर कुकर फट जाता है और कुकर की तरह ही छत से टकरा कर औंधे मुंह गिर जाती हैं .... :):)
सिरप और टैबलेट याद रहेगी :):)
भावनाओं का सुंदर विश्लेषण ॥
भावनाए भी आपकी भावना से प्रभावित होकर शब्दों में ढलकर प्रभावशाली बन जाती है . श्रीकांत जी की बात पर ध्यान दिया जय.
ReplyDeleteThanks aane ke liye aur apni anmol pratikriyan dene ke liye.
ReplyDeleteek baar fir se apne dusre blog ka link de rahi hun.
http://kisseaurkahaniyonkiduniyaa.blogspot.com
bhavnaon ko sunder shbdon ka jama pahnaya hai badhai
ReplyDeleterachana
bahut naveen upmaon ko sanjoya hai .badhai .
ReplyDeleteखुश होने के लिये कितना कम चाहिये..
ReplyDeleteदो चम्मच मधुर बोल
ReplyDeleteऔर एक टैबलेट प्यार की.kya upma hai....wah.
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteदिल में भरी भावनाएं, ट्रेन में भरे मुसाफिर की तरह भी होती हैं...एक उतरी है..दूसरी चढती है...खाली कभी नहीं होती...
:-)
आज शायद ब्लोगर में कोई प्रोब्लम है.बहुत शिकायत मिल रही हैं कमेन्ट बॉक्स न खुलने की अत: टिप्पणियाँ मेल से मिल रही हैं जिन्हें मैं यहाँ पोस्ट कर रही हूँ.
ReplyDeleteअमित श्रीवास्तव जी -
भावनाएं कभी ईंधन होती है और कभी उत्पाद .
भावनाओं का ज्वर
ReplyDeleteजब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
इसे कहते हैं जिए हुए भाव
प्रभावी.....
ReplyDeleteआपकी क्षणिकाओं को पढ़ने पर ऐसा लगा कि आप बहुत सूक्ष्मता से एक अलग धरातल पर भावनाओं को देखती हैं।
ReplyDeleteएक भावनात्मक संतुष्टि प्रदान कर गई क्षणिकाएं।
भावनाऐं प्रेशर कुकर भी हैं
ReplyDeleteजब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर
चाहती है सुने कोई
कि पक चुकी हैं.
बंद की जाये आंच अब.'
-बाह्य और अंतःप्रकृति की प्रतिक्रियायें कितनी समरूप होती हैं न !
भावनाओं का ज्वर
ReplyDeleteजब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
सही है ..
बहुत खूब. बिलकुल अलग रंग में लिखी रचना.
ReplyDeleteसादर.
भावनाएं प्रेशर कूकर में उबलती सी , सही समय पर नहीं खोला तो उड़ जाए ...
ReplyDeleteभावनाओं को चाहिए मधुर बोल और टेबलेट प्यार की ...
भावनाओं की मधुर बयानगी ...
अतिसुन्दर!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
बहुत ही सुन्दर.
ReplyDeleteनए तरीके से भावनाओं को समझती रचना .
ReplyDeleteभावनाओं का ज्वर
ReplyDeleteजब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की...
बहुत बढ़िया शिखा जी
भावनाओं हैं कभी कभी खुद को संभाल भी लेती हैं..
ReplyDeleteभावनाओं का ज्वर
ReplyDeleteजब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
kitna khoobsurat hai :)
rommantic and cute ;)
सुंदर विश्लेषण भावनाओं का ...
ReplyDeleteदो चम्मच मधुर बोल
ReplyDeleteऔर एक टैबलेट प्यार की.
मिलने के लिये शुभकामनायें।
Meethi meethi panktiyaa
ReplyDeletebhavnayen antar ka kolahal hai jise shabdon k samooh mein gum hone se bachana hai....bahut sunder..
ReplyDeleteभावनाओं का ज्वार कभी कभी कलां के माध्यम से भी निकल जाता है ...
ReplyDeleteअच्छी रचना है ...
aajkal bhavnaon ka sparsh bhi kaaam nahi kar pata..!!
ReplyDeletewaise jo kaha.. wo satya wachan!!
itti himmat kahan jo kaat saken aapki baat!!
ham to pahle din se jante hain, lekhan ki har vidha me aap parangat ho... !!!
कितनी सहज और सरलता से भावानाओं को अपने वयक्त किया है..... अदभुत...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा । नई उपमाएँ ,नए प्रतीक !
ReplyDeleteभावनाऐं हिंदी कविता की
ReplyDeleteकिताब हो गईं हैं
जो ढेरों उपजती हैं
पर पढीं नहीं जातीं.
क्या बात है!!! बहुत सच्ची बाते, सुन्दर तरीके से लिखी गयी. बहुत खूब.
"भावनाओं" को जिस तरह आपने अभिव्यक्त किया है, वो सब की सब नायाब हैं... भावनाएं अंग्रेज़ी किताब भी हो गयी हैं, जिन्हें सजाना एक स्टेटस सिम्बल हो जैसे, पढ़ना आवश्यक नहीं.. "यार, लाइफ में कुछ नहीं रह गया" जैसी भावनाएं इसी श्रेणी में आती हैं... :)
ReplyDeleteभावनाओं का कोई ओर छोर नहीं होता।
ReplyDeleteबढिया रचना।
कितने आश्वस्ति भरे सुखद पल होते हैं ये न :)
ReplyDeleteवाह, बढ़िया... भावनाएं प्रेसर कुकर, हिंदी की किताबें... अद्भुत तुलना...
ReplyDeleteवैसे भावनाएं हिंदी के ब्लॉग भी हो गई है... लोग समझते कम है, या तो यूँ ही होकर गुजर जाते हैं या फिर बिना पढ़े और समझे टिपया जाते हैं....
अच्छी रचना.. आनंद की अनुभूति हुई...
कुछ अलग...अनोखी सी रचना..
ReplyDeleteअच्छा लगा आपका लेखन ,आपका ब्लॉग..
सादर.
भावनाओं की लाजवाब व्याख्या...बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteहार्दिक बधाई..
आपकी भावनाएँ पढ़कर मस्तिष्क में स्पंदन होने लगा...
ReplyDeleteभावनाओं का ज्वर
ReplyDeleteजब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
NICE POST .BEAUTIFUL TOUCHING LINES.
खतरनाक बात कही है। ग़नीमत है कि कवि ध्यान से नही पढते हैं और ध्यान से पढने वाले कविता नहीं करते। :)
ReplyDelete(मज़ाक है - आजकल बताना पड़ता है)
wah, kya baat hai
ReplyDeleteआदरणीया शिखा जी होली की शुभकामनायें |
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति| होली की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteभावनाऐं प्रेशर कुकर भी हैं
ReplyDeleteजब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर
चाहती है सुने कोई
कि पक चुकी हैं.
बंद की जाये आंच अब.
आपकी क्षणिकाएं कहर ढाती हैं...होली की शुभकामनायें
अतिम पंक्तियों ने दिल छू लिया बहुत खूब....
ReplyDelete