तेरे रुमाल पर जो धब्बे नुमायाँ हैं
साक्षी हैं हमारे उन एहसासात के
एक एक बूँद आंसू से जिन्हें
हमने साझा किया था
सागर की लहरों को गिनते हुए.
****************************** **
इतनी देर तक जो
इकठ्ठा होते रहे
उमड़ते रहे
घुमड़ते रहे
इन आँखों में.
अब जो छलके तो
गुनगुने नहीं
ठन्डे लगेंगे
ये आंसू.
************************
*बंद होते ही पलक से
जो बूँद शबनम सी गिरती है.
मचल कर धीरे से जो
मेरी तर्जनी पर सरकती है.
अपनी मुट्ठी की सीपी में छिपा
उसे मोती सा बना दूं
फिर तेरे लबों पर
हंसी के टुकड़े सा लुढका दूं
*************************
आंसू और समंदर.. समंदर का गुनगुनापन और खारापन पूरी तरह से उतर आया है.. शायद यही रिश्ते सबसे प्यारे होते हैं..धुले हुए आंसुओं से!! पाकीजा!!
ReplyDeleteशानदार भावमय प्रस्तुति.
ReplyDeleteमृदुल कोमलता का अहसास कराती हुई.
मेरी बात...पर आपका इन्तजार है.
रुमाल पर आंसुओं के निशान सागर की लहरों को गिनते हुये ...उमड़ते घुमड़ते ठंडे आँसू .... और तर्जनी से सरकती बूंद को मोती बना ...हंसीं का टुकड़ा लुढ़काने की चाह .... बहुत सुंदर ... एक ही शब्द बस ...गज़ब
ReplyDeleteभावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........
ReplyDeleteउफ़ मोहब्बत जो ना कराये कम है।
ReplyDeleteअपनी मुट्ठी की सीपी में छिपा
ReplyDeleteउसे मोती सा बना दूं
फिर तेरे लबों पर
हंसी के टुकड़े सा लुढका दूं
Wah!
न जाने इनमें कितनी भावनाएँ समाहित कर दी हैं आपने.
ReplyDelete..
ReplyDeleteतेरे रुमाल पर जो धब्बे नुमायाँ हैं
साक्षी हैं हमारे उन एहसासातों के
एक एक बूँद आंसू से जिन्हें
हमने साझा किया था
सागर की लहरों को गिनते हुए.
..
अंतस के गहन गह्वर से झरने सी फूटती मर्मस्पर्शी .. !!
बहुत देर तक जैसे मन्दिर के किसी घण्टे की अनुगून्ज कानों में .. गूंजती है ..
नि:शब्द ..
Shika ji
ReplyDeletenamaskar! ek baar nahi anek baar padhi aapki ye komal ahshash liye khubsurat rachna.
aapko is rachna ke liye badhai.
Ashq moti hain
Ashq hain shabnam.
ye hote hain anmol
isse rakhe sambhalkar.
तेरे रुमाल पर जो धब्बे नुमायाँ हैं
ReplyDeleteसाक्षी हैं हमारे उन एहसासात के
एक एक बूँद आंसू से जिन्हें
हमने साझा किया था
सागर की लहरों को गिनते हुए... lahron si siskiyaan inse uthti hain , hamare hone ko kahti hui
शानदार प्रस्तुति ||
ReplyDeleteप्रभावी पंक्तियाँ.क्या बात है:
ReplyDeleteउमड़ते रहे
घुमड़ते रहे
इन आँखों में.
अब जो छलके तो
गुनगुने नहीं
ठन्डे लगेंगे
ये आंसू.
बंद होते ही पलक से
ReplyDeleteजो बूँद शबनम सी गिरती है.
मचल कर धीरे से जो
मेरी तर्जनी पर सरकती है.
अपनी मुट्ठी की सीपी में छिपा
उसे मोती सा बना दूं
फिर तेरे लबों पर
हंसी के टुकड़े सा लुढका दूं
bahut sunder aansuon ka ye rup bahut sunder tarike se darshaya hai aapne
rachana
आपकी पंक्तियाँ पढ़कर मुझे प्रसाद जी की पंक्तियाँ याद आई
ReplyDeleteअब छुटता नहीं छुडाये , रंग गया ह्रदय है ऐसा
आंसू से धुला निखरता , यह रंग अनोखा कैसा
भावनाओ के ज्वार ला देती हो आप शब्दों के माध्यम से .
कोमल अहसासों से सजी भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteगर्म आंसूं , ठंडे आंसूं --वाह शिखा जी । यह प्रयोग भी अद्भुत रहा ।
ReplyDeleteआंसुओ का गुनगुना होना जीवित होने का प्रमाण है , ठन्डे आंसू भयावह से लगते है कुछ मुर्दा से
ReplyDeleteवाऊ!!परफेक्ट!! :) :)
ReplyDeleteआंसुओं की भी जुबां होती हैं... नाजुक से अहसास.. सुंदर क्षणिकाएं
ReplyDeleteखून और अश्क ... जब तक यह गुनगुनापन इन दोनों में है ... सारा खेल तब तक ही है !
ReplyDeleteगुनगुने आंसू कुछ मीठा सा गुनगुना गए |
ReplyDeleteजिस पर हमारी आंख ने मोती बिछाए रात भर, भेजा तुझे काग़ज़ वही, हमने लिखा कुछ भी नहीं।
ReplyDeleteबस ...! और कुछ नहीं!!
(और कुछ कहने की ज़रूरत है क्या?)
बहुत सुंदर , आंसुओं के ज़रिये मन के भाव शब्दों में ढले.....
ReplyDeleteआँसू भावों का समुन्दर बहा गये..
ReplyDeleteबहुत प्यारे एहसासों को खूबसूरती से पिरोया है आपने....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शिखा जी...
छोटी छोटी रचनाएँ पर भाव बड़े बड़े ..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteफिर तेरे लबों पर
ReplyDeleteहंसी के टुकड़े सा लुढका दूं.....
खुशियां लुटाते चलो......
बहुत उम्दा और सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteये आंसू मेरे दिल की जुबान हैं । सुंदर भावभीनी रचना ।
ReplyDeleteप्यार में अक्सर लोग आंसू बहाया करते हैं, मिले तब भी और ना मिले तब भी।
ReplyDeleteबंद होते ही पलक से
ReplyDeleteजो बूँद शबनम सी गिरती है.
मचल कर धीरे से जो
मेरी तर्जनी पर सरकती है.
अपनी मुट्ठी की सीपी में छिपा
उसे मोती सा बना दूं
फिर तेरे लबों पर
हंसी के टुकड़े सा लुढका दूं
अनुपम भाव संयोजन लिए ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
har boond moti hai......
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
गुनगुने आंसू ठन्डे हुए तो किसी लब की हंसी बन जाए ...
ReplyDeleteअनूठा प्रयोग !
सुन्दर !
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 23-02-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete..भावनाओं के पंख लगा ... तोड़ लाना चाँद नयी पुरानी हलचल में .
ashq aur hansi ka bada hi gahra rishta hai....dhuli huyi muskrahat....wah!!!!
ReplyDeleteashq aur hansi ka bada hi gahra rishta hai....dhuli huyi muskrahat....wah!!!!
ReplyDeleteआंसू और कविता!
ReplyDeleteवाह!
सच्चे प्यार के लिए निकले आंसूं समंदर से भी गहरे डूबा ले जाते हैं
ReplyDeleteजो बूँद शबनम सी गिरती है.
ReplyDeleteमचल कर धीरे से जो
मेरी तर्जनी पर सरकती है.
अपनी मुट्ठी की सीपी में छिपा
उसे मोती सा बना दूं!
बहुत सुन्दर,
सादर
अपनी मुट्ठी की सीपी में छिपा
ReplyDeleteउसे मोती सा बना दूं
फिर तेरे लबों पर
हंसी के टुकड़े सा लुढका दूं.....
क्या ही खुबसूरत.... वाह!
सादर बधईयाँ...
..इन भाव कणिकाओं का अपना प्रवाह है जो बह गया वह बह गया ,बहता रहा ,सुन्दर ,मनोहर ...
ReplyDeleteअंकों के इन आसुंओं को किसी की हंसी में बदल देने की चाह .... प्रेम की गहरी अनुभूति से ही संभव है ...
ReplyDeleteफिर तेरे लबों पर
ReplyDeleteहंसी के टुकड़े सा लुढका दूं........बहुत खूब!!
aansoo kahen ya gunguna khaara pani ya aankh se ludhka moti, sabhi upmaa bahut sundar. bhaavpurn kshanikaaon ke liye badhai.
ReplyDeleteअप्रतिम भाव !
ReplyDeleteआँसू की बूंद... हंसी का टुकड़ा । बहुत खूबसूरत भावपूर्ण क्षणिकाएँ...
ReplyDeletewah, kya khoob likha aapne
ReplyDeleteमन को छू जाने वाले भाव...
ReplyDelete------
..की-बोर्ड वाली औरतें।
सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteभावपूर्ण उत्तम अभिव्यक्ति.
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