आत्मा से जहन तक का,
रास्ता नसाज है
या भावनाओं का ही कुछ,
पड़ गया आकाल है
दिल के सृजनात्मक भाग में
आज़कल हड़ताल है।
हाथ उठते हैं मगर
शब्द रचते ही नहीं
होंट फड़कते हैं मगर
बोल फूटते ही नहीं
पन्नों से अक्षर का रिश्ता
लग रहा दुश्वार है
दिल के सृजनात्मक भाग में
चल रही हड़ताल है
चल रहीं साँसे मगर
रूह कहीं लुप्त हो गई
धड़क रहा है दिल तो
क्या रवानगी सुस्त पड़ गई
इस हृदय में चल रहा
एक हाहाकार है
दिल के सृजनात्मक भाग में
जो चल रही हड़ताल है
बिन रंगो की तुलिका जैसे
खंडित मूरत की मुद्रा जैसे
बेनूर कोई अँखियाँ जैसे
बिन पानी नादिया जैसे
सृजन बिन कोरा ये जीवन ,
बे नमक का सा आहार है
दिल के सृजनात्मक भाग में ,
गर जारी रही ये हड़ताल है……
रास्ता नसाज है
या भावनाओं का ही कुछ,
पड़ गया आकाल है
दिल के सृजनात्मक भाग में
आज़कल हड़ताल है।
हाथ उठते हैं मगर
शब्द रचते ही नहीं
होंट फड़कते हैं मगर
बोल फूटते ही नहीं
पन्नों से अक्षर का रिश्ता
लग रहा दुश्वार है
दिल के सृजनात्मक भाग में
चल रही हड़ताल है
चल रहीं साँसे मगर
रूह कहीं लुप्त हो गई
धड़क रहा है दिल तो
क्या रवानगी सुस्त पड़ गई
इस हृदय में चल रहा
एक हाहाकार है
दिल के सृजनात्मक भाग में
जो चल रही हड़ताल है
बिन रंगो की तुलिका जैसे
खंडित मूरत की मुद्रा जैसे
बेनूर कोई अँखियाँ जैसे
बिन पानी नादिया जैसे
सृजन बिन कोरा ये जीवन ,
बे नमक का सा आहार है
दिल के सृजनात्मक भाग में ,
गर जारी रही ये हड़ताल है……
बहुत सुन्दर भाव,
ReplyDeleteबधाई।
Bahut sundar Bhaav.
ReplyDelete{ Treasurer-S, T }
सृजन का सीधा सम्बन्ध सकारात्मक सोच से होता है !
ReplyDeleteजरा देखिये तो अखबार..टीवी ...पत्रिकाएं ... मित्रों की बात-चीत .. हर जगह निगेटिव सोच ही मिलेगी !
नकारात्मक माहौल के हम इस कदर आदी हो गए हैं कि हर चीज को नकारने की हमें आदत पड़ गयी है !
हमें अपनी अपूर्णता का अहसास हो भी तो कैसे ... जब इर्द-गिर्द भी वैसे ही लोग हों !
सुन्दर कविता
सार्थक अभिव्यक्ति !
बधाई !
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
aapne bahut hi achha likha hai...thanx!!!!!
ReplyDeleteअरे दिलो-दिमाग में भी हड़ताल......??और फिर भी उसकी इतनी अच्छी पड़ताल....!!क्या बात है.....तो फिर ऐसी हड़ताल बार-बार हो...कि तब काम रुके नहीं...बल्कि और भी तेजी से होने लगे....क्या बात है...!!
ReplyDeleteShikha Ji,
ReplyDeleteBahut sunder rachna mujhe kuchh panktiyaan achchi lagin,
haath uth rahe magar, shabd rachte hi nahin...
chal rahi saansen magar rooh lupt ho gayi...
Badhaai... Surinder Ratti
riktta agar aa jaye to kuchh bhi kaam nahi hota.
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति लिये सुन्दर रचना के लिये बधाई
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