जानता है जल जायेगा
फिर भी
जाता है करीब शमा के वो
ये जूनून पतंगे का हमें,
इश्क करना सिखा गया।
बास्कोडिगामा जब निकला कश्ती पर
खतरों से न वो अज्ञात था।
पर जूनून उसके भ्रमण का हमें
अपने भारत से मिला गया।
जो न होता जूनून शहीदों में
कैसे भला आजादी हम पाते
जो न होता जूनून भगीरथ को
कैसे गंगा जमीं पर वो लाते।
जनहित में हो जूनून अगर
ये धरती बन जाये स्वर्गमयी
पर बढ़ जाये जो गलत डगर
तो बन जाये नरक यहीं
तमन्ना ,ख्वाइशे,सपने ,जज्बे
हर इंसान के अन्दर होते हैं
हद्द से गुजरने जब ये लगें
बस उसे जूनून हम कहते हैं.
फिर भी
जाता है करीब शमा के वो
ये जूनून पतंगे का हमें,
इश्क करना सिखा गया।
बास्कोडिगामा जब निकला कश्ती पर
खतरों से न वो अज्ञात था।
पर जूनून उसके भ्रमण का हमें
अपने भारत से मिला गया।
जो न होता जूनून शहीदों में
कैसे भला आजादी हम पाते
जो न होता जूनून भगीरथ को
कैसे गंगा जमीं पर वो लाते।
जनहित में हो जूनून अगर
ये धरती बन जाये स्वर्गमयी
पर बढ़ जाये जो गलत डगर
तो बन जाये नरक यहीं
तमन्ना ,ख्वाइशे,सपने ,जज्बे
हर इंसान के अन्दर होते हैं
हद्द से गुजरने जब ये लगें
बस उसे जूनून हम कहते हैं.
तमन्ना ,ख्वाहिशें, सपने ,जज्बे
ReplyDeleteहर इंसान के अन्दर होते हैं
हद्द से गुजरने जब ये लगें
बस उसे जूनून हम कहते हैं.
आशा और विश्वास से भरी प्रेरक रचना है !
सुन्दर सारगर्भित कविता !
पढ़ कर ऐसा लगा जैसे सुबह की ताजा हवा में सांस ली हो !
स्नेह व शुभकामनाएं !!!
आज की आवाज
शिखा के रचना संसार में सब कुछ मौजूद है ,इसे ग़जल,मुक्तक,या फिर कोई नाम देना
ReplyDeleteबेईमानी होगा ,अगर आप सिर्फ कविता को महसूस करना चाहते हैं तो यहाँ आयें
waah...kya baat hai.....maanviya bhavnao ka adbhut chitran......
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeletejunoon ke mayne alag alga tareeke se samjhaati kavita..achchee hai.
ReplyDeleteaapka junoon accha laga...
ReplyDeletebahut preal racha hai.. Badhai..!
kya khoob kaha hai shikha ji .
ReplyDeleteहद से गुजरने ये जब लगें
ReplyDeleteबस उसे जूनून हम कहते हैं.
बहुत ही सुन्दर रचना है शिखा जी
- विजय तिवारी " किसलय "
कविता आकर्षित करती है
ReplyDeleteलिखते रहिये
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 19 -04-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....आईने से सवाल क्या करना .